सनातन धर्म में बारह मासों का वर्णन किया गया है, 1. चैत्र, 2. वैशाख , 3. ज्येष्ठ, 4. आषाढ़, 5. श्रावण, 6. भाद्रपद, 7. आश्विन, 8. कार्तिक, 9. मार्गशीर्ष, 10. पौष, 11. माघ और 12. फाल्गुन !
मासों की गणना भी बड़ी वैज्ञानिक स्तर पर आधारित है !
जिस मास में पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है वह चैत्र मास कहलाता है, विशाखा नक्षत्र में वैशाख मास, ज्येष्ठ नक्षत्र में ज्येष्ठ मास, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आषाढ़ मास, श्रवण नक्षत्र में श्रावण मास ,पूर्वभाद्रपदा में भाद्रपद मास,अश्विन नक्षत्र में आश्विन मास, कृत्तिका नक्षत्र में कार्तिक मास, मृगशिरा नक्षत्र में मार्गशीर्ष मास, पुष्य नक्षत्र में पौष मास, मघा नक्षत्र में माघ मास, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में फाल्गुन मास कहलाता है !
श्रावण मास में शिव पूजा व गौरी पूजा का विशेष महत्व है !
इस मास में शिव पूजा से पूजक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं ! इस मास में शिव पूजा से, रुद्राभिषेक से, शिव व रूद्र यज्ञ से, शिव मंत्र के जप से, आशुतोष भगवान की अखण्ड भक्ति के साथ पूजक धन धान्य से परिपूर्ण तो होता ही है साथ में वंश वृद्धि, आत्मिक शान्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है !
विशेषकर रुद्राष्टाध्यायी से भगवान रूद्र के अभिषेक का विशेष महत्व है ! शिव पुराण में स्वयं भगवान शिव ने रुद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों से रुद्राभिषेक के माहात्म्य का वर्णन किया है !
पूजक तीर्थों के जल, दूध, दही, घी, पञ्चामृत, गन्ने के रस, फलों के रस, कुशोदक से भिन्न भिन्न कामनायों की पूर्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर सकता है !
आरोग्यता व व्याधि की शान्ति के लिए कुशोदक से अभिषेक करें !
धन सम्बन्धी परेशानियों से मुक्ति के लिए शहद या घी से अभिषेक करें !
अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें !
पुत्र प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करें !
मोक्ष प्राप्ति के तीर्थों के जल से अभिषेक करें !
स्मरण शक्ति की वृद्धि के लिए दूध में शक्कर मिला कर अभिषेक करें !
शत्रुओं के दमन के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें !
ऋण मुक्ति के लिए मंगलवार के दिन शिव अभिषेक किया करें !
विशेषकर श्रावण मास के सोमवार, मासिक शिवरात्रि यानि कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा अवश्य करें !
भगवान शिव के लिए किये जाने वाले प्रदोष व्रत का तो विशेष महत्व है, शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि जो एक वर्ष तक भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रदोष व्रत रखता है उसके सभी दोष दूर हो जाते हैं !
जो साधक संतान चाहता है यदि वो शुक्ल पक्ष त्रयोदशी शनिवार यानि शनि प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत रखे तो भगवान शिव की कृपा से निश्चित सुयोग्य संतान की प्राप्ति होगी !
ऋण मुक्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी मंगलवार यानि भौम प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष के दिन व्रत रखे !
आयु वृद्धि या रोग निवृत्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी रविवार यानि रवि प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत रखे !
गृह शान्ति या सभी मनोकामनायों की पूर्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी सोमवार यानि सोम प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत करे !
गौरी व्रत (मंगला गौरी व्रत)
यह मंगला गौरी व्रत नव विवाहित वधु को सुयोग्य सन्तान, सुखी वैवाहिक जीवन और अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार को पांच वर्ष तक अवश्य करना चाहिए !
विवाह के पश्चात् पहले वर्ष पीहर (पिता के घर) और अगले चार वर्ष तक पति के घर ससुराल में इस व्रत को अवश्य करें !
श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को गौरी माँ की पूजा करे, माँ गौरी जी के पास आटे से बने सोलह 16 मुख वाले 16 सोलह बत्ती से युक्त दीपक को जलाएं ! यदि संभव हो सके तो षोडशोपचार से नहीं तो पंचोपचार यानि सौभाग्य द्रव्य, चन्दन, अक्षत (चावल), फूल, मिठाई, धूप आदि से माँ गौरी की पूजा करें और अपनी माता को सौभाग्य द्रव्य चुनरी, सिन्दूर, कंगन, बिंदिया, वस्त्र, फल, मिठाई आदि अर्पण करें !
जिन कन्यायों के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उनको भी मंगलवार के दिन गौरी पूजा अवश्य करनी चाहिए या गौरी जी प्रसन्नता के लिए मंगलवार का व्रत रखना चाहिए ! इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह का योग बनेगा और सुयोग्य मनचाहे पति की प्राप्ति होगी !
नाग पञ्चमी
श्रावण मास शुक्ल पक्ष पञ्चमी को नाग पूजा का बड़ा महत्व है, कुछ प्रान्तों में लोकाचार के भेदानुसार कृष्ण पक्ष पंचमी को भी नाग पूजा की जाती है ! इस दिन वासुकी कुण्ड में स्नान करने का विधान शास्त्रों में किया गया है ! घर के द्वार पर दोनों तरफ गोबर के सर्प बनाकर "ॐ कुरुकुल्ये हुम् फट स्वाहा" मन्त्र से उनकी पूजा की जाती है !
पवित्रार्पण विधि
श्रावण मास शुक्लपक्ष एकादशी को भगवान को रेशम, कुश, सूत, मूंज, कपास से बने पवित्रक अर्पण करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है ! सौभाग्यवती स्त्री के हाथों से कते हुए सूत से घुटने, जंघा या नाभि तक लम्बे पवित्रक बनायें और "नमो नारायण" मन्त्र का जप करते हुए यथाशक्ति 360, 270, 180, 54, या 27 गांठे लगायें, पंचगव्य से शुद्ध करके भगवान को अर्पण करें !
श्रावणी पर्व ,रक्षा बन्धन
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ! रक्षाबन्धन भद्रा अर्थात् विष्टि करण को छोड़कर ही करना चाहिए !
इस दिन श्रवण कुमार जी की पूजा का विधान भी है ! दशरथ जी के हाथों से अनजाने में अपने नेत्रहीन माता पिता को तीर्थयात्रा करवाते हुए श्रवण कुमार जी का वध हो गया ! दशरथ जी ने अनजाने में हुए श्रवण कुमार के वध के अपराध से मुक्ति पाने के लिए श्रावणी के दिन श्रवण कुमार की पूजा का प्रचार किया और तभी से सभी सनातन धर्मी इस दिन श्रवण कुमार जी पूजा भी करते हैं !
ऋक, यजु, साम के स्वाध्यायी ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य आदि अपने अपने वेद के अनुसार नदियों के तटों पर नदियों में स्नान के पश्चात उपाकर्म कर्म को संपन्न करते हैं ! कुशा से निर्मित ऋषियों की स्थापना करके उनका पूजन, तर्पण और विसर्जन आदि कर्म करते हैं !
इस मास नदियाँ रजस्वला होती है इसलिए नदियों में स्नान वर्जित होता है लेकिन वशिष्ठ जी के वचनानुसार उत्सर्ग,प्रेतस्नान में, चन्द्र या सूर्य ग्रहण में तथा उपाकर्म में नदी स्नान में दोष नहीं लगता !
आशा है आप सभी को ये लेख अवश्य अच्छा लगा होगा, त्रुटि के लिए आप सभी नीर क्षीर विवेकी विद्वान जनों से क्षमा प्रार्थी हूँ ! आपके बहुमूल्य सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी ! धन्यवाद !
मासों की गणना भी बड़ी वैज्ञानिक स्तर पर आधारित है !
जिस मास में पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है वह चैत्र मास कहलाता है, विशाखा नक्षत्र में वैशाख मास, ज्येष्ठ नक्षत्र में ज्येष्ठ मास, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आषाढ़ मास, श्रवण नक्षत्र में श्रावण मास ,पूर्वभाद्रपदा में भाद्रपद मास,अश्विन नक्षत्र में आश्विन मास, कृत्तिका नक्षत्र में कार्तिक मास, मृगशिरा नक्षत्र में मार्गशीर्ष मास, पुष्य नक्षत्र में पौष मास, मघा नक्षत्र में माघ मास, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में फाल्गुन मास कहलाता है !
श्रावण मास में शिव पूजा व गौरी पूजा का विशेष महत्व है !
इस मास में शिव पूजा से पूजक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं ! इस मास में शिव पूजा से, रुद्राभिषेक से, शिव व रूद्र यज्ञ से, शिव मंत्र के जप से, आशुतोष भगवान की अखण्ड भक्ति के साथ पूजक धन धान्य से परिपूर्ण तो होता ही है साथ में वंश वृद्धि, आत्मिक शान्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है !
विशेषकर रुद्राष्टाध्यायी से भगवान रूद्र के अभिषेक का विशेष महत्व है ! शिव पुराण में स्वयं भगवान शिव ने रुद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों से रुद्राभिषेक के माहात्म्य का वर्णन किया है !
पूजक तीर्थों के जल, दूध, दही, घी, पञ्चामृत, गन्ने के रस, फलों के रस, कुशोदक से भिन्न भिन्न कामनायों की पूर्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर सकता है !
आरोग्यता व व्याधि की शान्ति के लिए कुशोदक से अभिषेक करें !
धन सम्बन्धी परेशानियों से मुक्ति के लिए शहद या घी से अभिषेक करें !
अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें !
पुत्र प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करें !
मोक्ष प्राप्ति के तीर्थों के जल से अभिषेक करें !
स्मरण शक्ति की वृद्धि के लिए दूध में शक्कर मिला कर अभिषेक करें !
शत्रुओं के दमन के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें !
ऋण मुक्ति के लिए मंगलवार के दिन शिव अभिषेक किया करें !
विशेषकर श्रावण मास के सोमवार, मासिक शिवरात्रि यानि कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा अवश्य करें !
भगवान शिव के लिए किये जाने वाले प्रदोष व्रत का तो विशेष महत्व है, शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि जो एक वर्ष तक भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रदोष व्रत रखता है उसके सभी दोष दूर हो जाते हैं !
जो साधक संतान चाहता है यदि वो शुक्ल पक्ष त्रयोदशी शनिवार यानि शनि प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत रखे तो भगवान शिव की कृपा से निश्चित सुयोग्य संतान की प्राप्ति होगी !
ऋण मुक्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी मंगलवार यानि भौम प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष के दिन व्रत रखे !
आयु वृद्धि या रोग निवृत्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी रविवार यानि रवि प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत रखे !
गृह शान्ति या सभी मनोकामनायों की पूर्ति के लिए शुक्ल पक्ष त्रयोदशी सोमवार यानि सोम प्रदोष से एक वर्ष तक हर प्रदोष को व्रत करे !
गौरी व्रत (मंगला गौरी व्रत)
यह मंगला गौरी व्रत नव विवाहित वधु को सुयोग्य सन्तान, सुखी वैवाहिक जीवन और अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार को पांच वर्ष तक अवश्य करना चाहिए !
विवाह के पश्चात् पहले वर्ष पीहर (पिता के घर) और अगले चार वर्ष तक पति के घर ससुराल में इस व्रत को अवश्य करें !
श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को गौरी माँ की पूजा करे, माँ गौरी जी के पास आटे से बने सोलह 16 मुख वाले 16 सोलह बत्ती से युक्त दीपक को जलाएं ! यदि संभव हो सके तो षोडशोपचार से नहीं तो पंचोपचार यानि सौभाग्य द्रव्य, चन्दन, अक्षत (चावल), फूल, मिठाई, धूप आदि से माँ गौरी की पूजा करें और अपनी माता को सौभाग्य द्रव्य चुनरी, सिन्दूर, कंगन, बिंदिया, वस्त्र, फल, मिठाई आदि अर्पण करें !
जिन कन्यायों के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उनको भी मंगलवार के दिन गौरी पूजा अवश्य करनी चाहिए या गौरी जी प्रसन्नता के लिए मंगलवार का व्रत रखना चाहिए ! इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह का योग बनेगा और सुयोग्य मनचाहे पति की प्राप्ति होगी !
नाग पञ्चमी
श्रावण मास शुक्ल पक्ष पञ्चमी को नाग पूजा का बड़ा महत्व है, कुछ प्रान्तों में लोकाचार के भेदानुसार कृष्ण पक्ष पंचमी को भी नाग पूजा की जाती है ! इस दिन वासुकी कुण्ड में स्नान करने का विधान शास्त्रों में किया गया है ! घर के द्वार पर दोनों तरफ गोबर के सर्प बनाकर "ॐ कुरुकुल्ये हुम् फट स्वाहा" मन्त्र से उनकी पूजा की जाती है !
पवित्रार्पण विधि
श्रावण मास शुक्लपक्ष एकादशी को भगवान को रेशम, कुश, सूत, मूंज, कपास से बने पवित्रक अर्पण करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है ! सौभाग्यवती स्त्री के हाथों से कते हुए सूत से घुटने, जंघा या नाभि तक लम्बे पवित्रक बनायें और "नमो नारायण" मन्त्र का जप करते हुए यथाशक्ति 360, 270, 180, 54, या 27 गांठे लगायें, पंचगव्य से शुद्ध करके भगवान को अर्पण करें !
श्रावणी पर्व ,रक्षा बन्धन
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ! रक्षाबन्धन भद्रा अर्थात् विष्टि करण को छोड़कर ही करना चाहिए !
इस दिन श्रवण कुमार जी की पूजा का विधान भी है ! दशरथ जी के हाथों से अनजाने में अपने नेत्रहीन माता पिता को तीर्थयात्रा करवाते हुए श्रवण कुमार जी का वध हो गया ! दशरथ जी ने अनजाने में हुए श्रवण कुमार के वध के अपराध से मुक्ति पाने के लिए श्रावणी के दिन श्रवण कुमार की पूजा का प्रचार किया और तभी से सभी सनातन धर्मी इस दिन श्रवण कुमार जी पूजा भी करते हैं !
ऋक, यजु, साम के स्वाध्यायी ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य आदि अपने अपने वेद के अनुसार नदियों के तटों पर नदियों में स्नान के पश्चात उपाकर्म कर्म को संपन्न करते हैं ! कुशा से निर्मित ऋषियों की स्थापना करके उनका पूजन, तर्पण और विसर्जन आदि कर्म करते हैं !
इस मास नदियाँ रजस्वला होती है इसलिए नदियों में स्नान वर्जित होता है लेकिन वशिष्ठ जी के वचनानुसार उत्सर्ग,प्रेतस्नान में, चन्द्र या सूर्य ग्रहण में तथा उपाकर्म में नदी स्नान में दोष नहीं लगता !
आशा है आप सभी को ये लेख अवश्य अच्छा लगा होगा, त्रुटि के लिए आप सभी नीर क्षीर विवेकी विद्वान जनों से क्षमा प्रार्थी हूँ ! आपके बहुमूल्य सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी ! धन्यवाद !
The twelve months are described in Sanatana Dharma, 1. Chaitra, 2. Vaishakh, 3. Jyeshtha, 4. Ashadha, 5. Shravan, 6. Bhadrapada, 7. Ashwin, 8. Kartik, 9. Margashirsha, 10. Pausha , 11. Magha and 12. Phalgun!
The calculation of months is also based on a big scientific level!
The month in which Purnima occurs in Chitra Nakshatra is called Chaitra month, Vaishakh month in Visakha nakshatra, Jyeshtha month in Jyeshtha nakshatra, Ashadha month in Purvashada nakshatra, Shravan month in Shravan nakshatra, Bhadrapada month in Purvabhadrapada, Ashwin month in Ashwin constellation, Kartik month in Kritika nakshatra, Margashirsha month in Mrigashira nakshatra, Pausha month in Pushya nakshatra, Magha month in Magha nakshatra, Falgun month in Uttaraphalguni nakshatra!
Shiva Puja and Gauri Puja have special significance in Shravan month!
In this month, all the wishes of the worshiper are fulfilled quickly by Shiva worship! In this month, with worship of Shiva, with Rudrabhishek, with Shiva and Rudra Yajna, with chanting of Shiva Mantra, Ashutosh is full of poetic wealth with unwavering devotion to God, along with descent growth, spiritual peace and attainment of good health. Also happens!
Lord Rudra's consecration from Rudrashtadhyayi in particular has special significance. In the Shiva Purana, Lord Shiva himself has described the significance of Rudrabhishek with the mantras of Rudrashtadhyayi!
The worshiper can worship Lord Shiva for fulfilling different wishes than the pilgrim's water, milk, curd, ghee, panchmrit, sugarcane juice, fruit juice, kushodak!
Abhisheka for the comfort of healing and disease!
Abhishek with honey or ghee to get rid of money related troubles!
Abhishek with sugarcane juice to attain Akhand Laxmi!
Abhishek with cow's milk to get a son!
Abhishek with the water of pilgrimages to attain salvation!
To increase the memory power, add sugar to milk and anoint it!
To suppress enemies, anoint them with mustard oil!
Shiva Abhishek done on Tuesday for debt relief!
Especially on the Monday of Shravan month, monthly Shivaratri i.e. Krishna Paksha Chaturdashi, Pradosh fast, especially worship Lord Shiva!
Pradosha fast for Lord Shiva has special significance, it is found in the scriptures that all the faults of one who keeps Pradosha fast for the happiness of Lord Shiva for one year are removed!
If the seeker wants a child, if he keeps fasting every Pradosh for one year from Shukla Paksha Trayodashi Saturday i.e. Shani Pradosh, then by the grace of Lord Shiva, certain qualified children will be attained!
To get rid of debt, Shukla Paksha should keep a fast on every Pradosh day for one year from Trayodashi Tuesday ie Bhoom Pradosh!
Shukla Paksha Trayodashi Sunday i.e. Ravi Pradosha should be fasted for one year every year for age increase or retirement.
For the fulfillment of home peace or all wishes, fasting every Pradosh for one year from Shukla Paksha Trayodashi Monday i.e. Mon Pradosh!
Gauri Vrat (Mangla Gauri Vrat)
This Mangla Gauri fasting newly married bride must do for five years every Tuesday in the month of Shravan in order to attain worthy children, happy marital life and unbroken happiness!
Do this fast in the first year after marriage in Pihar (father's house) and husband's house in-laws for the next four years!
On every Tuesday of the month of Shravan, Gauri should worship the mother, light a lamp with sixteen 16-faced 16-light lamps made of flour near Maa Gauri! If possible, worship Goddess Gauri with panchopchar, i.e., good luck material, sandalwood, Akshat (rice), flowers, sweets, incense, etc., if possible, and not from hexodrama; , Offer sweets etc.
Girls who are getting delayed in their marriage should also perform Gauri Puja on Tuesday or Gaur Ji should keep a fast on Tuesday for happiness! Due to the effect of this fast, marriage will be formed soon and you will get a suitable husband.
Nag Panchami
Shravan month Shukla Paksha Panchami has great importance of Nag Puja, in some provinces Naga Puja is also performed on Krishna Paksha Panchami according to the ethos of ethos! On this day, bathing in Vasuki Kunda has been done in the scriptures! They are worshiped on the door of the house by making a snake of cow dung on both sides with the chant "Om Kurukulye Hum Burst Swaha"!
Purification method
The Shravan month Shuklapaksha Ekadashi is described in the scriptures to offer a holy offering made of silk, kush, cotton, cinnamon, cotton to the Lord! Make long sanctuaries from the thread of the hand of a fortunate woman to the knee, thigh or navel, and chant "Namo Narayan" mantra, apply 360, 270, 180, 54, or 27 knots, purified with Panchagavya and offer it to the Lord. !
Shravani festival, Raksha Bandhan
Rakshabandhan festival is celebrated with great pomp on the full moon day of Shravan month! Rakshabandhan should be done except Bhadra i.e. Vishti Karan!
There is also a law to worship Shravan Kumar ji on this day! Inadvertently making a pilgrimage to his blind parents with the hands of Dashrath ji, Shravan Kumar ji was killed! Dasharatha ji preached the worship of Shravan Kumar on the day of Shravani to get rid of the crime of slaying of Shravan Kumar inadvertently and since then all Sanatan Dharmis also worship Shravan Kumar ji on this day!
Raksha, Yaju, Sama's self-styled Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas etc. according to their respective Vedas perform the Upakarma Karma after bathing in the rivers on the banks of the rivers! Establish rishis made from Kusha and worship them, perform tarpan and immersion etc.
Bathing in the rivers is forbidden during this month, so bathing in rivers is prohibited, but according to Vashishtha's promise, there is no fault in river bathing in Utsarga, Phantasanan, Chandra or Solar Eclipse and Upakarma!
Hope you all would have liked this article, I apologize to all you neer Kshir wise scholars for the error! Looking forward to your valuable suggestions! Thank you !
Acharya Garg Acharya Garg
Storyteller, astrology, ritual, vastu, gemstone and gemologist
आचार्य गर्ग Acharya Garg
कथावाचक, ज्योतिष, कर्मकांड, वास्तु, रत्न व उपरत्न
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