Saturday 14 May 2016

क्यों आता है रविवार के बाद सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार ? Why comes Monday after Sunday

   "पञ्चानि अंगानि यस्य सः पञ्चांग:"

जिसके वार, तिथि, नक्षत्र, योग, करण नामक पांच अंग हो उसे पंचांग कहते हैं ! ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का विशेष महत्त्व है, क्योंकि शुभ वार, शुभ तिथि, शुभ करण, शुभ नक्षत्र, शुभ योग में किये गए धार्मिक अनुष्ठान, तीर्थ स्नान, पूजा, जप, दान, स्तोत्रादि के पाठ का परिणाम शुभ ही होता है और किये गए कर्म का पूर्ण फल मिलता है !

वार :- रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार ये सात वार हैं ! 

ग्रह सात हैं इसलिए वार भी सात ही हैं, राहु केतु छाया ग्रह हैं इसलिए इनकी गणना वारों में नहीं होती !
   
वारा: सप्त: रवि सोमो मंगलश्च बुधस्तथा !

   वृहस्पतिश्च शुक्रश्च शनिश्चैव  यथा क्रमम !!

पृथ्वी के सबसे समीप उपग्रह चन्द्र है उसके बाद ग्रह बुध फिर शुक्र, सूर्य, मंगल, गुरु है और अंत में शनि ग्रह की कक्षा है !
                              "1.चन्द्र - 2.बुध - 3.शुक्र - 4.सूर्य - 5.मंगल - 6.गुरु - 7.शनि "

यह ग्रहों की कक्षा का क्रम है ! ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक एक सावन दिन माना जाता है ! जिस तरह एक दिन में 24 घंटे होतें हैं उसी प्रकार एक सावन दिन में 24 होरा होती है ! एक होरा अढाई घटी यानि एक घंटे की होती है, एक घटी 24 मिनट की, आधी घटी 12  मिनट की होती है इसलिए 24 +24 +12 = 60 मिनट !
 पहली होरा उसी ग्रह की दूसरी होरा उसके आगे के छठे ग्रह की फिर तीसरी होरा उसके आगे के छठे ग्रह की होती है !
यस्मिन् वारे क्षणेवारे इष्टस्तद्वासराधिप: !
आद्य: षष्ठो द्वितीयोSस्मात तस्मात् षष्ठस्तृतीयम: !!
षष्ठ: षष्ठस्तथान्येषां कालहोराधिपा: स्मृता: !
सार्धनाडीद्वयेनैव दिवारात्रं यथाक्रमात !!
ग्रहों की कक्षा के अनुसार होरा की गणना करनी चाहिए, वारों की गणना रविवार से आरम्भ होती है और होरा को क्षणवार भी कहते हैं जैसे :-

(1.) रविवार के दिन पहली होरा रवि की अर्थात सूर्य की होगी, दूसरी होरा उसके आगे के 1.मंगल- 2.गुरु- 3.शनि- 4.चन्द्र- 5.बुध 6. शुक्र छठे ग्रह अर्थात शुक्र की, तीसरी होरा उसके आगे के छठे ग्रह बुध की, इसी प्रकार छ: छ: के क्रम से चौथी होरा चन्द्र की, पांचवीं होरा शनि की, छठी होरा वृहस्पति की, सातवीं होरा मंगल की, आठवीं होरा फिर सूर्य की, नवीं होरा शुक्र की, दसवीं होरा बुध की, ग्यारवीं होरा चन्द्र की, बारहवीं होरा शनि की, तेहरवीं होरा वृहस्पति की, चौदहवीं होरा मंगल की, पंद्रहवीं होरा फिर सूर्य की, सोलहवीं होरा शुक्र की, सतारहवीं होरा बुध की, अठारहवीं होरा चन्द्र की, उन्नीसवीं होरा शनि की बीसवीं होरा वृहस्पति की, इक्कीसवीं होरा मंगल की, बाईसवीं  होरा फिर सूर्य की , तेईसवीं होरा शुक्र की, चौबीसवीं होरा बुध की होती है ! 

इस प्रकार रविवार के दिन 4 बार रवि यानि सूर्य ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा सूर्य की, दूसरी बार  आठवीं 8. होरा सूर्य की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा सूर्य  की और चौथी बार बाईसवीं 22. होरा सूर्य की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा चन्द्र की होती है इसलिए अगला वार चन्द्रवार या सोमवार होता है !

(2.) सोमवार या चंद्रवार के दिन  पहली होरा 1. चन्द्र की , 2. शनि की , 3. वृहस्पति की , 4. मंगल की, 5. सूर्य की, 6. शुक्र की, 7. बुध की, 8. चन्द्र की, 9. शनि की, 10. वृहस्पति की, 11. मंगल की, 12. सूर्य की, 13.शुक्र की, 14. बुध की, 15. चन्द्र की, 16. शनि की, 17. वृहस्पति की, 18. मंगल की, 19. सूर्य की, 20. शुक्र की, 21. बुध की, 22. चन्द्र की, 23. शनि की, 24. वृहस्पति की होरा होती है !

इस प्रकार सोमवार के दिन भी 4 बार  चन्द्र  ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा  की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा चन्द्र  की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा चन्द्र की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा चन्द्र की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा मंगल ग्रह की होती है इसलिए अगला वार मंगलवार होता है !

(3.) मंगलवार या भौमवार के दिन पहली होरा 1. मंगल की , 2. सूर्य की , 3. शुक्र की , 4. बुध की, 5. चन्द्र की, 6. शनि की, 7. वृहस्पति की, 8. मंगल की, 9. सूर्य की, 10. शुक्र की, 11. बुध की, 12. चन्द्र की, 13.शनि की, 14. वृहस्पति की, 15. मंगल की, 16. सूर्य की, 17. शुक्र की, 18. बुध की, 19. चन्द्र की, 20. शनि की, 21. वृहस्पति की, 22. मंगल की, 23. सूर्य की, 24. शुक्र की होरा होती है !

इस प्रकार मंगलवार के दिन भी 4 बार मंगल ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा मंगल की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा मंगल की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा मंगल की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा मंगल की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा बुध ग्रह की होती है इसलिए अगला वार बुधवार होता है !

(4.) बुधवार के दिन पहली होरा 1. बुध की , 2. चन्द्र की , 3. शनि की , 4.  वृहस्पति की, 5. मंगल की, 6. सूर्य की, 7. शुक्र की, 8. बुध की, 9. चन्द्र की, 10. शनि की, 11. वृहस्पति की, 12. मंगल की, 13.सूर्य की, 14. शुक्र की, 15. बुध की, 16. चन्द्र की, 17. शनि की, 18. वृहस्पति की, 19. मंगल की, 20. सूर्य की, 21. शुक्र की, 22. बुध की, 23. चन्द्र की, 24. शनि की होरा होती है !

इस प्रकार बुधवार के दिन भी 4 बार बुध ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा बुध की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा बुध की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा बुध की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा बुध की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा वृहस्पति ग्रह की होती है इस अगला वार गुरुवार या वृहस्पतिवार होता है !

(5.) गुरुवार या वृहस्पतिवार के दिन पहली होरा 1. गुरु की , 2. मंगल की , 3. सूर्य की , 4.  शुक्र की, 5. बुध की, 6. चन्द्र की, 7. शनि की, 8. वृहस्पति की, 9. मंगल की, 10. सूर्य की, 11. शुक्र की, 12. बुध की, 13.चन्द्र की, 14. शनि की, 15. गुरु की, 16. मंगल की, 17. सूर्य की, 18. शुक्र की, 19. बुध की, 20. चन्द्र की, 21. शनि की, 22. गुरु की, 23. मंगल की, 24. सूर्य की होरा होती है !

इस प्रकार वृहस्पतिवार के दिन भी 4 बार गुरु ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा गुरु की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा गुरु की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा गुरु की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा गुरु की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा शुक्र ग्रह की होती है इस अगला वार शुक्रवार या भृगुवार होता है !

(6.) शुक्रवार या भृगुवार के दिन पहली होरा  1. शुक्र की , 2. बुध की , 3. चन्द्र की , 4.  शनि की, 5. वृहस्पति की, 6. मंगल की, 7. सूर्य की, 8. शुक्र की, 9. बुध की, 10. चन्द्र की, 11. शनि की, 12. वृहस्पति की, 13.मंगल की, 14. सूर्य की, 15. शुक्र की, 16. बुध की, 17. चन्द्र की, 18. शनि की, 19. गुरु की, 20. मंगल की, 21. सूर्य की, 22. शुक्र की, 23. बुध की, 24. चन्द्र की होरा होती है !

इस प्रकार शुक्रवार के दिन भी 4 बार शुक्र ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा शुक्र की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा शुक्र की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा शुक्र की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा शुक्र की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा शनि ग्रह की होती है इस अगला वार शनिवार होता है !


(7.) शनिवार  के दिन पहली होरा 1. शनि की , 2. वृहस्पति की , 3. मंगल की , 4. सूर्य की, 5. शुक्र की, 6. बुध की, 7. चन्द्र की, 8. शनि की, 9. वृहस्पति की , 10. मंगल की, 11. सूर्य की, 12. शुक्र की, 13. बुध की, 14. चन्द्र की, 15. शनि की, 16. वृहस्पति की, 17. मंगल, 18. सूर्य की, 19. शुक्र की, 20. बुध की, 21. चन्द्र की, 22. शनि की, 23. वृहस्पति की, 24. मंगल की होरा होती है !

इस प्रकार शनिवार के दिन भी 4 बार शनि ग्रह की होरा आती है पहली बार 1. होरा शनि की, दूसरी बार आठवीं 8. होरा शनि की , तीसरी बार पंद्रहवीं 15. होरा शनि की और चौथी व अंतिम बार बाईसवीं 22. होरा शनि की होती है !
पच्चीसवीं 25.होरा सूर्य यानि रवि ग्रह की होती है इसलिए पुनः शनिवार से अगला वार रविवार होता है !

प्रत्येक रविवारादि वारों में पहली, आठवीं, पंद्रहवीं और बाईसवीं होरा (क्षणवार ) उसी वार की होती हैं !

अतः अब सबसे सरल तरीके से समझने की कोशिश करते हैं जैसे पहले बताया जा चुका है पृथ्वी से सबसे नज़दीक ग्रह चंद्रमा है, उसके बाद बुध, उसके बाद शुक्र, उसके बाद सूर्य, उसके बाद मंगल, उसके बाद गुरु और उसके बाद शनि स्थित है, चंद्रमा सबसे नज़दीक ग्रह है और शनि सबसे दूर ग्रह है !
                     
                       "1.चन्द्र - 2.बुध - 3.शुक्र - 4.सूर्य - 5.मंगल - 6.गुरु - 7.शनि "

अब यहाँ पर ध्यान दीजिये उदाहरण के लिए अगर शनिवार के दिन यदि होरा देखनी हो तो शनि से उल्टा गिनना शुरू कीजिये पहली होरा शनि की यानि :-
1. शनि उसके बाद 2. गुरु,  3. मंगल,  4. सूर्य,  5. शुक्र, 6. बुध  7. चन्द्र, --- फिर पुनः
8. शनि, 9. गुरु 10. मंगल, 11. सूर्य, 12. शुक्र, 13. बुध, 14. चन्द्र,           --- फिर पुनः
15. शनि, 16. गुरु, 17. मंगल, 18. सूर्य, 19. शुक्र, 20. बुध, 21. चन्द्र,      --- फिर पुनः
22. शनि, 23. गुरु, 24. मंगल,   
25. होरा सूर्य की अतः शनिवार के बाद अगला वार रविवार होगा, इसी तरह हर वार की होरा (क्षण वार) आसानी से जानी जा सकती है ! -- 

अब रविवार का उदाहरण लेते हैं -- रविवार में सूर्य से आरम्भ करेंगे उलटे क्रम में पहली होरा सूर्य की --
1. सूर्य, 2. शुक्र, 3. बुध, 4. चन्द्र, उसके बाद 
5. शनि, 6. गुरु, 7. मंगल, 8. सूर्य, 9. शुक्र, 10. बुध, 11. चन्द्र, 
12. शनि, 13. गुरु, 14. मंगल, 15. सूर्य, 16. शुक्र, 17. बुध, 18. चन्द्र,
19. शनि, 20. गुरु, 21. मंगल, 22. सूर्य, 23. शुक्र, 24. बुध 
25. होरा चन्द्र की है अतः रविवार के बाद अगला वार चन्द्रवार या सोमवार होगा !

अब सोमवार का चंद्रवार का उदाहरण लेते हैं -- सोमवार को पहली होरा चन्द्र की 
1. चन्द्र, उसके बाद 
2. शनि, 3. गुरु, 4. मंगल, 5. सूर्य, 6. शुक्र, 7. बुध, 8. चन्द्र,
9. शनि, 10. गुरु, 11. मंगल, 12. सूर्य, 13. शुक्र, 14. बुध, 15. चन्द्र,
16. शनि, 17. गुरु, 18. मंगल, 19. सूर्य, 20. शुक्र, 21. बुध, 22. चन्द्र,
23. शनि, 24. गुरु 
25. होरा मंगल की है अतः सोमवार के बाद अगला वार मंगलवार होगा ! 

अब मंगलवार या भौमवार का उदाहरण लेते हैं -- मंगलवार  को पहली होरा मंगल की 
1. मंगल, 2. सूर्य, 3. शुक्र, 4. बुध, 5. चन्द्र,
6. शनि, 7. गुरु, 8. मंगल, 9. सूर्य, 10. शुक्र, 11. बुध, 12. चन्द्र,
13. शनि, 14. गुरु, 15. मंगल, 16. सूर्य, 17. शुक्र, 18. बुध, 19. चन्द्र,
20. शनि, 21. गुरु, 22. मंगल, 23. सूर्य, 24. शुक्र,
25. होरा बुध की है अतः मंगलवार के बाद अगला वार बुधवार होगा ! 

अब बुधवार का उदाहरण लेते हैं -- बुधवार को पहली होरा बुध की
1. बुध, 2. चन्द्र, 
3. शनि, 4. गुरु, 5. मंगल, 6. सूर्य, 7. शुक्र, 8. बुध, 9. चन्द्र,
10. शनि, 11. गुरु, 12. मंगल, 13. सूर्य, 14. शुक्र, 15. बुध, 16. चन्द्र,
17. शनि, 18. गुरु, 19. मंगल, 20. सूर्य, 21. शुक्र, 22. बुध, 23. चन्द्र,
24. शनि 
25. होरा गुरु की है अतः बुधवार के बाद अगला वार गुरूवार होगा !

अब गुरूवार का उदाहरण लेते हैं -- गुरूवार को पहली होरा गुरु की
1. गुरु, 2. मंगल, 3. सूर्य, 4. शुक्र, 5. बुध, 6. चन्द्र,
7. शनि, 8. गुरु, 9. मंगल, 10. सूर्य, 11. शुक्र, 12. बुध, 13. चन्द्र,
14. शनि, 15. गुरु, 16. मंगल, 17. सूर्य, 18. शुक्र, 19. बुध, 20. चन्द्र,
21. शनि, 22. गुरु, 23. मंगल, 24. सूर्य,
25. होरा शुक्र की है अतः गुरूवार के बाद अगला वार शुक्रवार होगा !

 अब शुक्रवार का उदाहरण लेते हैं -- शुक्रवार को पहली होरा शुक्र की
1. शुक्र, 2. बुध, 3. चन्द्र,
4. शनि, 5. गुरु, 6. मंगल, 7. सूर्य, 8. शुक्र, 9. बुध, 10. चन्द्र,
11. शनि, 12. गुरु, 13. मंगल, 14. सूर्य, 15. शुक्र, 16. बुध, 17. चन्द्र,
18. शनि, 19. गुरु, 20. मंगल, 21. सूर्य, 22. शुक्र, 23. बुध, 24. चन्द्र,
25. होरा शनि की है अतः शुक्रवार बाद अगला वार शनिवार होगा !



अतः आशा है अब सरलता ये समझ में आ गया होगा कि रविवार के बाद सोमवार, सोमवार के बाद मंगलवार, मंगलवार के बाद बुधवार, बुधवार के बाद गुरूवार, गुरूवार के बाद शुक्रवार, शुक्रवार के बाद शनिवार और शनिवार के बाद पुनः रविवार ही क्यूँ आता है !

भारतीय स्टैंडर्ड समय के अनुसार सुबह 6 बजकर 26 मिनट पर सभी जगह वार प्रवेश हो ही जाता है ! महर्षियों या ज्योतिषियों के अनुसार सूक्ष्म वार (क्षणवार) का विशेष महत्व है, इसलिए जो पूजा, जो दान, जो उपाय जिस वार में कहा गया है वह उस वार सूक्ष्मवार, होरा या क्षणवार में किया जा सकता है !

यस्य ग्रहस्य वारे यत कर्म किन्चित प्रकीर्तितम !
तत तस्य क्षणवारेषु कर्तव्यं सर्वदा बुधै: !!

रविवार स्थिर संज्ञक, सोमवार चर संज्ञक, मंगल उग्र संज्ञक, बुध मिश्र संज्ञक, गुरु लघु संज्ञक, शुक्र मृदु संज्ञक और शनि तीक्ष्ण संज्ञक वार हैं !

सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार सौम्यवार हैं या यूँ कह सकते हैं कि सभी कार्यों के लिए शुभ हैं, इनमे किये गए कार्यों में  सिद्धि मिलती है ! 

1. रविवार के दिन व्यापार सम्बन्धी कार्य, यात्रा, गाय या पशु का खरीदने बेचने सम्बन्धी कार्य, औषधी बनाना या खाना, शस्त्र सम्बन्धी कार्य, सोने तांबे से सम्बंधित कार्य, युद्ध सम्बन्धी कार्य, मन्त्र, नौकरी, राज्याभिषेक (शपथ) अदि कार्य किये जा सकते हैं !

2. सोमवार के दिन अक्षरारम्भ, दूध, दहीं, घी, जल या तरल पदार्थ सम्बन्धी कार्य, वृक्ष लगाना, कृषि, फूल सम्बन्धी, पशु सम्बन्धी, स्त्री सम्बन्धी, चांदी, रत्न मोती सम्बन्धी, कार्य किये जा सकते हैं !

3. मंगलवार के दिन भूमि सम्बन्धी, विष सम्बन्धी, अग्नि सम्बन्धी, शस्त्र सम्बन्धी, युद्ध सम्बन्धी, सेना सम्बन्धी, धातु सोना सम्बन्धी, रत्न मूंगा सम्बन्धी कार्य किये जा सकते हैं !

4. बुधवार के दिन अध्ययन अध्यापन सम्बन्धी, कला सम्बन्धी, शिल्प सम्बन्धी, व्यापार, व्यायाम, ट्रेनिंग, धातु कांसा सोना सम्बन्धी, सन्धि और विवाहादि कार्य किये जा सकते हैं !

5. गुरूवार के दिन विद्या, यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान, वस्त्र सम्बन्धी, घोडा सम्बन्धी, औषधी सम्बन्धी, सोने से सम्बन्धी, आभूषण सम्बन्धी, गृहकर्म, तीर्थ यात्रा सम्बन्धी कार्य किये जा सकते हैं !

6. शुक्रवार के दिन स्त्री सम्बन्धी, शय्या सम्बन्धी, गो सम्बन्धी, मणि, रत्न, वस्त्र, आभूषण, सुगंध सम्बन्धी, भूमि सम्बन्धी, कृषिकर्म आदि कार्य किये जा सकते हैं !

7. शनिवार के दिन पत्थर सम्बन्धी, अस्त्र शस्त्र सम्बन्धी, मन्त्र दीक्षा सम्बन्धी, लोहा, शीशा, रांगा सम्बन्धी, नौकरी सम्बन्धी कार्य किये जा सकते हैं !

रविवार और शुक्रवार के दिन पश्चिम दिशा में, सोमवार और शनिवार के दिन पूर्व दिशा में, मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा, गुरूवार को दक्षिण दिशा में नहीं जाना चाहिए या यात्रा नहीं करनी चाहिए ! 

आग्नेयी पूर्व दिग्ज्ञेया दक्षिणादिक् च नैऋर्ती !
वायवी पश्चिमादिक् स्यादैशानी च तथोत्तरा !!

अग्निकोण की गणना पूर्वदिशा में, वायुकोण और ईशान कोण की उत्तर दिशा में, नैऋत्य कोण की गणना दक्षिण में होती है !

यदि जाना अनिवार्य हो तो रविवार के दिन घी, सोमवार के दिन दूध, मंगलवार  के दिन गुड, बुधवार के दिन, तिल, गुरुवार के दिन दहीं, शुक्रवार के दिन ( यव )जौ, शनिवार के दिन उड़द खाकर घर से निकलें !

आशा है आप को यह लेख अवश्य अच्छा लगा होगा, किसी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ! आप अपने बहुमूल्य सुझावों से अवश्य मार्गदर्शन  करें ! 

आचार्य गर्ग  Acharya Garg

कथावाचक, ज्योतिष, कर्मकांड, वास्तु, रत्न व् उपरत्न विशेषज्ञ

डेरी फार्म 59, मसूदपुर, वसंत कुञ्ज, नई दिल्ली, 110070
+91-9990074233, 8826569193




Email :- rajgarg210479@gmail.com